आकाश को आज भी नींद नहीं आ रही थी, पता नहीं क्यों?
या शायद पता है क्यों?
क्योंकि शरीर की आग उसे बेचैन कर रही थी, और उसे समझ नहीं आ रहा था की कैसे इस आग को बुझाये. हालांकि ऐसा होना सामान्य ही था परन्तु हिंदुस्तान मैं चूत मिलना उतना ही मुश्किल है जितना सर्दी में आम मिलना. खैर कुछ देर तक वो जैसे तैसे मन मार कर पड़ा रहा. एक बार मुठ भी मारी, लेकिन चूत और हाथ का क्या मुकाबला. फिर वो उठा और अपनी माँ के कमरे की और बढ़ा. इस आशा में की शायद कुछ चुदाई देखने को मिल जाए तो एक बार और तसल्ली से मुठ मार कर सो जाऊँ. आज उसकी किस्मत अच्छी थी. पिताजी के कमरे की बत्ती जल रही थी और वो अच्छी तरह जानता था की इतनी रात को बत्ती जलने का एक ही मतलब होता है. चुदाई.
कमरे के पास पहुंचा तो कुछ बात करने की सी आवाजें आ रही थी, इसका मतलब या तो चुदाई शुरू होने वाली है या ख़तम हो चुकी है. पास पहुंचकर उसने खिड़की का पर्दा हल्का सा हटा कर अन्दर देखना शुरू किया तो देखा की चुदाई अभी शुरू नहीं हुई है, अलबत्ता मम्मी पापा दोनों नंगे बैठे हैं, मम्मी ने पापा के लंड को हाथ में ले रखा है और आगे पीछे कर रही है. पापा के लंड की लम्बाई अच्छी खासी थी मगर अभी मुरझाया हुआ था. मम्मी शायद इस बात से नाखुश थी और भौहें सिकोड़ कर लंड के ऊपर की चमड़ी को आगे पीछे करने में जुटी थी. लेकिन लंड पर उनकी इस मेहनत का कोई खास असर नहीं पड़ रहा था.
"अब कितनी देर और लगेगी? सोना भी तो है फिर." मम्मी ने गुस्से से पूछा.
"बस थोडा सा और. वैसे मुंह में डाल कर चूसती तो जल्दी खड़ा हो जाता." पापा मिमियाते हुए बोले.
मम्मी ने गुस्से से उन्हें देखा और बोली,"अब जैसा भी है चूत में डाल दो. मेरा तो हाथ दुखने लगा है."
फिर मम्मी चित होकर लेट गयी और अपनी मोटी गदरायी टांगें फैला दी जिनके बीच उनकी काली चूत मुंह फाड़ रही थी. इधर आकाश का जवान लंड फुफकारें मार रहा था मानो आकाश के हाथ से छूट कर किसी छेड़ में घुसना चाहता हो.
पापा ने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मम्मी की चूत पर लगाया और पकडे पकडे ही उसे अन्दर की और धक्का देने लगे, पहले तो सख्ती की कमी की वजह से वो इधर उधर ही फिसलता रहा लेकिन थोड़ी कोशिश के बाद उसमें कुछ जान आ गयी और वो चूत में जा घुसा. मम्मी की चूत तो पहले से ही तैयार थी. उन्होंने भी गांड उचका कर लंड का स्वागत किया. पापा ने अब लंड से हाथ को हटा लिया और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाकर लंड चूत में पेलने लगे. और हाथों से मम्मी के दोनों मम्मों को पकड़ कर दबाने लगे.
थोड़ी देर में मम्मी को भी मस्ती चढ़ गयी और वो मुंह से तरह तरह की आवाजें निकलने लगी-"आssssssssssssss आ मेरी जान, चोद डालो मुझे, मेरी चूत को फाड़ दो अपने लौड़े से. आssssssssssssssssss आssssssssssssssssssssss जल्दी जल्दी चोदो ना मुझे, मेरी चूत की खुजली मिटा दो अपने लंड से रगड़ रगड़ के.
ओ मेरी जान." थोड़ी देर बाद अचानक पापा की गति बहुत बढ़ गयी और उन्होंने चिल्लाते हुए अपना सारा रस मम्मी की चूत में उड़ेल दिया. लेकिन मम्मी को अभी और चुदना था. पापा का इस तरह से रुकना उन्हें बिलकुल अच्छा नहीं लगा.कुछ देर तो उन्होंने भी जल्दी जल्दी गांड हिला कर मज़े लेने की कोशिश की मगर मुठ निकलने के बाद लंड सूख कर राहुल रॉय की फिल्मों जैसा हो जाता है जो किसी को मज़ा देने के काबिल ना हो.
यह सीन देख कर आकाश का भी मूड खराब हो गया. मम्मी की तो और भी बुरी हालत थी. उन्होंने जल्दी पापा को साइड में धकेला और खुद दो उँगलियाँ चूत में घुसा कर पागलों की तरह हिलाने लगी. थोड़ी देर बाद वो भी झड गयी मगर लंड का मज़ा अगर उँगलियों से आता तो लंड से ज्यादा कीमत बैंगन और मूली की होती.
to be contd...